मिश्रा परिवार का परिचय 2
मिश्रा परिवार का परिचय 2
मिश्रा जी के जाने के बाद सुमित्रा जी भी नाशते कि तैयारियो मे लग जाती है । । वो पराठो के लिए आलू छिल रही होती है कि तभी कोई उनके पैर छुता है " गुड माॅनिंग मम्मी जी " वो लडकी उनके दोनो पैर पर हाथ लगाते हुए " सुप्रभात बेटा जी सदा खुश रहो " वो उन लडकी के सिर पर हाथ रख । । वो लडकी खडे होते हुए सुमित्रा जी कि ओर देख " लाइए मै कर देती हूँ . . " हाथो मे लाल चुडियाँ माँग मे सिंदूर, गले मे एक सोने कि चैन और कानो मे झुमके उसने पूरा श्रृंगार किया हुआ था ,, गोरा चेहरा बिल्ली आँखे ये कोई ओर नही ये है स्नेहा कि भाभी और उनके बडे भइया विवेक कि पत्नि नीरू .. विवेक भइया और नीरू भाभी कि लव मैरिज थी भइया को भाभी दिल्ली काॅलेज मे मिली ,, पहले दोस्ती हुई फिर प्यार । ।
" बेटा ये मै कर लेती हूँ तुम जा कर स्नेहा को उठा दो आज सोमवार है श्रावण का तो वो मंदिर के लिए सुबह उठाने का बोल कर सोई थी तुम जा कर उसे उठा दो तब तक रसोई का काम मे संभाल लेती हूँ । । " सुमित्रा जी आलू को छिलते हुए एक भगोने मे रखते हुए बोली । ।
" वो होगी तब तो उठाऊँगी सुबह ही चार बजे मंदिर चली गई थी महादेव के श्रृंगार के लिए कह रही थी पंडित जी ने कहा था कि जल्दी आना भीड हो जाएगी,, जब चार बजे मे उठी थी तब वो निकल रही थी । । " नीरू भी उनके साथ आलू का छिलक उतारते हुए बोली । ।
" इस लडकी का कुछ नही हो सकता चार बजे अकेली चली गई हमे उठा देती हम छोड आते या विवेक जरा भी परवाह नही है सुनसान सडक पर अकेले भगवान जाने अगर इसके पापा को पता चला तो हम पर ही चिल्लाएगे " सुमित्रा जी घबराहट भरी आवाज के साथ । ।
" आप चिंता मत करे मम्मी जी पंडिताइन आंटी खुद उसे लेने आई थी मै भी उसे अकेले नही जाने देती . . " नीरू उनके कंधे पर हाथ रख उन्हे आसवासन देते हुए । ।
शिव मंदिर
" हर हर महादेव . . " चारो ओर जयकारा लग रहा था । । अमूमन के मुताबिक आज इतनी भौर ही भक्तजनो कि कतार लग पडी थी । । लगती भी क्यो न आज महादेव के प्रिय माघ का जो आगमन था आज सावन का पहला सोमवार था । । सभी भक्त जन महादेव के दर्शन के लिए ललाहित थे । ।
" स्नेहा बिटिया हो गया " पुजारी जी उमडती भीड को देख उस कन्या से बोले जो हाथो मे फूल लिए कुछ कर रही थी । ।
" बस हो क्या पंडित जी " वो आखरी श्रृंगार को सम्पूर्ण कर हाथ जोड एक कोने मे होते हुए । ।
" अति उत्तम ,, सच मे इस श्रृंगार ने तो मन मोह लिया सत्य कहते है लोग कि पूरे त्रषिकेश मे महादेव का श्रृंगार तुमसे बेहतर कोई कर ही नही सकता " पंडित जी अपनी आँखो मे लाल गुलाब के फूल और भस्म और चंदन मे रमे महादेव के इस मनमोहक रूम को रमाते हुए बोले । । उनकी बात को सुन वो दुपट्टे से हाथ साफ करती कन्या के मुख पर मुस्कान छा जाती है । ।
" भगवान तुम्हें सदा खुश रखे .. " पंडित जी उसके सिर पर हाथ रख आशीर्वाद देते हुए बोले । ।
धीरे धीरे कर सभी भक्त जन महादेव के रूप के दर्शन करते है और साथ साथ उनके श्रृंगार को भी सरहाते है । । उनकी तारिफ को सुन उसका दिल भी प्रसन्न हो उठता है । ।
सभी के दर्शन के बाद आरती आरम्भ होती है " ऊ जय शिव ओमकारा ... " आरती खत्म होने पर पंडित जी आरती को सभी को देने का जिम्मा उसे सौपते है । । सब को आरती दे वो भी आखिर मे आरती ले आरती को मंदिर मे रख हाथ जोड कर प्रार्थना करती है " वैसे तो आपने मुझे जो भी दिया है वो काफी है बस अपनी कृपा और आशीर्वाद मुझ पर यू ही बनाए रखना महादेव .. " वो हाथ जोड दंडवत प्रणाम कर पंडित जी के पास चली जाती है जो सभी को तिलक लगा गंगा जल दे रहे थे । । वो भी सिर पर हाथ रख तिलक लगवा कर हाथ आगे कर जल लेती है । । पंडित जी को उसके हाथ मे लड्डू रखता देख वो बोली " मेरा उपवास है पंडित जी " वो लड्डू साइड मे रख उसके हाथ मे दूसरे डिब्बे मे रखा मिशरी का प्रसाद रखते है । । " भगवान तुम्हें खुब प्रेम करने वाला पति दे , बिल्कुल तुम्हारे महादेव की तरह " पीछे से आती पंडिताइन जी उसके सिर पर हाथ रखते हुए । ।
" तब तो इसे बहुत लंबा तप करना पडेगा " तभी सभी के कानो मे जानी पहचानी आवाज पडती है सभी पीछे मुड कर देखते है तो टी शर्ट और जीनस पहने सिर पर सकार्फ रखे हलके दमकते रंग की एक लडकी जिसके बाल घुंघरेले थे वो उनकी ओर आते हुए बोली । ।
" श्वेता .. " सभी के मुँह से एक साथ निकला । । श्वेता जल्दी से जिकर मथा टेक उनकी ओर आते हुए बोली " नमस्ते पंडित जी नमस्ते पंडिताइन जी " वो भी उनके पास आते हुए बोली । ।
" हो गई तेरी सुबह कितने फोन किए थे मैने तुझे देख आरती भी समाप्त हो गई " वो लडकी श्वेता से शिकवा करते हुए । ।
" क्या करूँ यार आँख नही खुली ओर जब खुली तब तक लेट हो गई थी ... " श्वेता पंडित जी से जल और तिलक लगवाते हुए । ।
" तुम्हें पता है बैचारी सूबह से लगी हुई है अकेले ही सारा श्रृंगार किया बैचारी ने " पंडिताइन जी उस लडकी के सिर पर हाथ रख । ।
" अब जब महादेव के जैसे पति चाहिए तो मेहनत तो लगेगी मे तो बस इस कन्या को भगवान को प्रसन्न करने का मौका दे रही थी " श्वेता उसका उपहास करते हुए । ।
क्रमशः
आध रा @ @
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